विरासत को बचाने के लिए सबको आगे आना होगा - हरेंद्र गडिया ।
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By संवाददाता, सुभाष पिमोली
Published - 25 April 2024 97 views
चमोली उत्तराखंड -
20-22 वर्ष पहले मैती आंदोलन की धरती ग्वालदम से शुरू हुए "विरासत ज्ञान" संगठन के संस्थापक हरेंद्र सिंह गड़िया ने बताया उत्तराखंड स्थापना दिवस 9 नवम्बर 2002 को रा० इ० का० ग्वालदम में विरासत ज्ञान संगठन को पद्मश्री कल्याण सिंह रावत "मैती" के कर कमलों से इसकी शुरुआत की गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य विरासत ज्ञान संगठन के द्वारा उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में कई बुद्धिजीवियों के माध्यम विरासत पर कार्य किया जा रहा है। लेकिन काफी समय से इस विचार को आगे बढ़ाने का उत्तराखंड के बुद्धिजीवों इतिहासकारों तथा पर्यटन से जुड़े लोगों को पुनः विरासत ज्ञान पर सुझाव मांगे गए हैं ।
जिसमें सभी का मार्गदर्शन व अनुभवों का लाभ समाज को मिल सकेगा।*
उन्होंने बताया हमारे उत्तराखण्ड की समृद्ध,गौरवशाली लोक परम्परा उसकी सुसंस्कृत विरासत जो अब अपने मूल स्वरूप से भटकती जा रही है।*
*इस पर कुछ वाह्य संस्कृतियों का प्रभाव दिनों-दिन बढ़- चढ़कर देखने को मिल रहा है।*
*जहाँ, हम देखते हैं कि धार्मिक, सांस्कृतिक, लोक परम्परा, रीति-रिवाज, विवाह पद्धति,खान-पान, पहनावा,बोली-भाषा, गीत-संगीत,आदि क्रियाकलाप अपने प्राचीन स्वरूप से भटकते जा रहे हैं।*
*इसका पारम्परिक ज्ञान, जो कि विरासत ज्ञान के रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलना चाहिए था।*
*आज हमसे दूर होता जा रहा है। यह सब चिन्ता का विषय है। कुछ हद तक कुछ चीजों का इसमें समावेश ठीक है। परन्तु मूल स्वरूप से छेड़-छाड़ न हो।क्योंकि*हमारी भावी पीढियां ये तय नहीं कर पायेंगी कि वास्तव में उत्तराखण्ड का मूल स्वरूप क्या था?*
*हम सभी उत्तराखंडी भाई-बहिनों का इसे संरक्षित कर आगे बढ़ाने का कर्तव्य होना ही चाहिए।*
*इसी क्रम में सभी कभी को अपने विचार या कुछ लोक परम्परा विरासत आधारित जानकारी अपने आस-पास भी सबको जहाँ तक सम्भव हो। जागरुक करते रहेंगे ।
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